kota. चम्बल रिवर फ्रंट में है कुछ खास ऐसा, जो पूरे विश्व में कही नहीं

– देश के पहले हेरिटेज रिवर फ्रंट का हुआ लोकार्पण
कोटा. विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सीपी जोशी ने स्वायत्त शासन मंत्री श्री शांति धारीवाल एवं अन्य मंत्री परिषद सदस्यों की उपस्थिति में मंगलवार को चम्बल नदी पर बन रिवर फ्रंट का लोकार्पण किया। इस रिवर फ्रंट ने एक साथ कई विश्व कीर्तिमान भी स्थापित किए हैं। यह रिवरफ्रंट देश का पहला हैरीटेज रिवरफ्रंट हैं जिसे विशेष स्थापत्य शैली एवं आर्किटेक्ट के कई सदियों तक याद किया जाएगा। अविश्वनीय एवं अकल्पनीय आकर्षक नजारे पेश करता यह रिवर फ्रंट सम्पूर्ण विश्व में एक महत्वपूर्ण पर्यटक केन्द्र बनेगा जहां राजस्थानी स्थापत्य एवं शौर्य गाथाओं की अनूठी झलक देखने को मिलेगी।
पं. नेहरू की आंखों से देख सकेंगे रिवर फ्रंट का अनुपम सौंदर्य
रिवर फ्रंट के पश्चिमी जोन में 120 मीटर की लंबाई में जवाहर घाट का निर्माण किया गया है। इस घाट पर पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का फेस मास्क बनाया गया है उनके जो 12 मीटर ऊंचा और 3 मीटर चौड़ा है। इसे केवल गनमेटल से बनाया गया है। इसके पीछे की तरफ से लोग इस मास्क के अंदर जा सकेंगे और वहां से इसकी आंखों से रिवरफ्रंट का नजारा देख सकेंगे। नेहरू जी का ऐसा मास्क किसा अन्यत्र जगह पर स्थापित नहीं किया गया है।

अभूतपूर्व है भगवान शिव के नंदी सबसे बड़ी प्रतिमा
रिवर फ्रंट के पश्चिमी जोन में विश्व की सबसे बड़ी नंदी की प्रतिमा स्थापित की गई है। नंदी की प्रतिमा की ऊंचाई 6.5 मीटर, लंबाई 10.5 और चौड़ाई 4.5 मीटर है। नंदी की प्रतिमा जोधपुर स्टोन से बनाई गई है। इस प्रतिमा के सामने वैदिक मंदिर के स्ट्रक्चर भी तैयार किए गए हैं, जो पांच तत्वों को दर्शाते हुए होंगे।
विश्वव की सबसे बड़ी घंटी
रिवर फ्रंट के पश्चिम जोन में विष्व की सबसे बड़ी घंटी भी स्थापित की गई है। यह घंटी सिंगल पीस कास्टिंग की है जिसको टुकड़ों से नहीं बल्कि सिंगल पीस में बनाया गया है। यह 30 फीट ऊंची और 28 फीट चौड़ी है तथा इसका वजन 72 टन है। अष्ट धातु से इसका निर्माण किया गया है जिससे इसकी उम्र 5000 साल होगी। इसकी एक और खास बात यह भी है कि इसमें जो पेंडुलम है वह भी बिना जॉइंट का है।

वियतनाम मार्बल से बनी सबसे बड़ी चंबल माता की मूर्ति
चंबल के पूर्वी किनारे पर रिवर फ्रंट पर सबसे बड़ी चंबल माता की मूर्ति स्थापित की गई है। यहां 20 मीटर के पेडेस्टल पर 42 मीटर ऊंची चंबल माता की मूर्ति बनाई गई है। इस मूर्ति के हाथों में एक कलश स्थापित किया गया है जिससे झरने की भांति पानी नदी में अनवरत गिरता रहेगा। वियतनाम मार्बल से इस प्रतिमा का निर्माण किया गया है। यह भारत में संगमरमर की सबसे ऊंची मूर्ति होगी। साथ ही, यहां 40 मीटर व्यास का बार्सिलोना फाउंटेन की तर्ज पर फाउंटेन भी बनाया गया है जहां लोग रंग बिरंगी रोशनी और म्यूजिक के साथ फाउंटेन शो देख सकेंगे।

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