जलदाय विभाग के अधिकारियों ने लोकसभा अध्यक्ष को अधूरी जानकारी दी: धारीवाल

  • पीएचईडी समय पर काम नहीं कर पाती, इसलिए यूआईटी को दिया काम

कोटा. पेयजल उत्पादन व आपूर्ति की व्यवस्था से संबंधित स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की योजना में बदलाव को लेकर पिछले दिनों लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कड़ी नाराजगी जाहिर की थी, इसे लेकर नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने रविवार को स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि जलदाय विभाग के अधिकारियों ने लोकसभा अध्यक्ष को अधूरी जानकारी दी, इस कारण असमंजस की स्थिति बनी।

धारीवाल ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कोटा शहर में रियासतकाल से 24 घंटे पेयजल सप्लाई होती आ रही है, लेकिन अब आबादी बढ़ने के साथ ही पानी की मांग ज्यादा होने लगी है। इस कारण मौजूदा समय में पानी के उत्पादन में भी कमी महसूस होने लगी है। ऐसे मेंं पानी को फिल्टर करने के लिए उत्पादन सिस्टम को भी बढ़ाना जरूरी है। कोटा शहर में वर्तमान में 485 एमएलडी पानी का उत्पादन हो रहा है।

लेकिन वर्तमान मे आबादी विस्तार के हिसाब ये भी कम पड़ने लग गया है। इसे देखते हुए स्मार्ट सिटी में पानी व्यवस्था को लेकर जो पैसा मिला है, उसके हिसाब से जलदाय विभाग ने जो योजना बनाई थी। वो सिर्फ एबीडी क्षेत्र के लिए ही थी। यानि स्मार्ट सिटी निर्धारित बेल्ट के लिए ही वो राशि खर्च कर सकते हैं। उनके पानी के क्षेत्र में वितरण व्यवस्था के लिए एबीडी एरिया में इतनी आवश्यकता नहीं थी।

इसलिए राज्य सरकार ने उस प्लान में परिवर्तन कर एबीडी एरिया में वितरण की जगह उत्पादन के प्लांट बनाने में खर्च किया है। जिसका कार्य सितंबर में पूरा होने की पूरी सभावना है। मंत्री धारीवाल ने कहा कि जल व्यवस्था के लिए स्मार्ट सिटी से 154 करोड़ रुपए मिले हैं। जलदाय विभाग ने इसकी योजना 2018 में बनाई थी। जिसमें नई पाइप लाइन डालने, पानी की टंकियां बनाने एवं स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य था। यह डीपीआर पूरे कोटा के लिए बनाई गई थी। लेकिन यह डीपीआर स्मार्ट सिटी की गाइडलाइन के अनुकूल नहीं थी। इस कारण इस पर कार्य नहीं हो सका।

जबकि कोटा शहर में पानी की व्यवस्था के लिए व्यवस्था सुधारने की आवश्यकता एबीडी क्षेत्र से बाहर थी। ऐसे में एबीडी क्षेत्र में उत्पादन की व्यवस्था को सुधारने के लिए यह राशि खर्च की ज रही है। इसके लिए अकेलगढ़ हैडक्वार्ट का सुदृढ़ीकरण, एक श्रीनाथपुरम में नया 50 एमएलडी का प्लांट बनाया जा रहा है ओर 70 एमएलडी का उत्पादन प्लांट सकतपुरा में विस्तार किया जा रहा है।

जलदाय विभाग के पास है 25 करोड़ का बजट
धारीवाल ने कहा कि वर्ष 2018 की योजना में हमने कुछ परिवर्तन करने के बाद वितरण व्यवस्था के लिए नई पाइप लाइन डालने के लिए 25 करोड़ रुपए का बजट रखा है। जो जलदाय विभाग के पास ही सुरक्षित है। इसका अभी तक जलदाय विभाग ने कोई उपयोग नहीं किया है। ऐसे में जलदाय विभाग के अधिकारियों ने स्थानीय सांसद ओर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को गलत जानकारी दी है। जलदाय विभाग के अधिकारियों ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में पानी का यूआईटी द्वारा जो कार्य किया जा रहा है, उसकी तो जानकारी दी है।

लेकिन वितरण व्यवस्था के लिए रखे 25 करोड़ के बजट को लेकर कोई जानकारी नहीं दी कि उस पैसे से क्या कार्य किए हैं। जबकि पूरा पैसा एक साथ आया था। लोकसभा अध्यक्ष को जलदाय विभाग से इस बारे में भी जानकारी लेनी चाहिए थी कि उन्होंने अभी इसका उपयोग क्यों नहीं किया। कोचिंग क्षेत्र मेंं मल्टी स्टोरी इमारतें होने व अतिरिक्त पानी की आवश्यकता होने के चलते इन्द्रा विहार, राजीव गांधी नगर, महावीर नगर आदि क्षेत्रों में नई पाइपलाइनें डालनी थी। लेकिन जलदाय विभाग ने इस राशि का वहां उपयोग नहीं किया।

धीमी गति से कार्य करता है जलदाय विभाग
मंत्री धारीवाल ने कहा कि जलदाय विभाग द्वारा कार्य काफी धीमी गति से कार्य किया जाता है। पिछली बार जब उनको बड़ा कार्य दिया गया था, तो 8 साल में जाकर पूरा किया था। इसलिए हमने ये उत्पादन का कार्य यूआईटी को दिया है। जो मात्र 18 से 20 माह में पूरा होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि अकेलगढ़ हैडक्वाटर के फिल्टर प्लांट के पम्पों को सुधारने के लिए 36 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं।

जबकि श्रीनाथपुरम मेंं 50 एमएलडी उत्पादन प्लांंट व मिनी अकेलगढ़ पर 70 एमएमडी उत्पादन प्लांट के लिए 95.17 करोड़ रख-रखाव सहित खर्च किए जा रहे हैं। श्रीनाथपुरम के प्लांट का फायदा नए कोटा के विज्ञान नगर, इन्द्र विहार, राजीव गांधी नगर, महावीर नगर सहित अन्य क्षेत्रों को मिलेगा। वहीं 70 एमएलडी प्लांट का फायदा नदीपार के क्षेत्र सकतपुरा, कुन्हाड़ी, नांता, बड़गांव, नयापुरा, स्टेशन क्षेत्र, भदाना, बारां रोड, बोरखेड़ा, रायपुरा, सोगरिया, चन्दे्रसल, नया नोहरा व काला तालाब के क्षेत्रों को प्रत्यक्ष रूप से मिलेगा।

नवरंग होटल के दस्तावेज नगर निगम के पास हैं, कोई भी ले सकता है जानकारी
मंत्री धारीवाल से पूछा गया कि पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल लगातार नवरंग होटल के पट्टे के आवेदन को लेकर सवाल उठा रहे हैं तो इस बारे में उनका क्या कहना है? इस पर धारीवाल ने कहा कि मेरे पास नवरंग होटल के भूखंड का पट्टा ओर आवंटन पत्र उपलब्ध हैं। ये सारी जानकारी नगर निगम से प्राप्त की जा सकती है। हमने उनको कॉपी दे रखी है।

हमने नगर निगम में नवरंग होटल के भूखंड के भू उपयोग परिवर्तन के लिए आवेदन किया था, जिसमें हमने व्यवसायिक और पर्यटन इकाई के लिए भू-उपयोग परिर्वतन चाहा था। लेकिन नगर निगम की गलती से स्टेट ग्रांट एक्ट की आपत्ति सूची में नाम जुड़ने की वजह से ये सारी बातें हुई हैं। मेरी सम्पत्ति के कागजात की तो पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत ने 7 दिन तक रखकर जांच करवाई थी, लेकिन कुछ नहीं मिला तो वापस लौटा दिए। रही बात हम पर अंगुली उठाने वालों की तो वो पहले अपने मकान के दस्तावेज तो जनता के सामने रख दें। पता चल जाएगा, कौन गलत है, कौन सही है।

अमृत-2 में सबसे ज्यादा पैसा कोटा को मिलेगा
मंत्री धारीवाल ने कहा कि जल्द अमृत-2 योजना आने वाली है। इसमें सबसे ज्यादा पैसा कोटा को मिलने वाला है। इसमें 30 से 40 हाइराइज टैंक बनेंगे। जबकि उत्पादन के लिए प्लांट में राशि खर्च कर सकेंगे। वितरण की लाइनों के लिए भी राशि मिलगी।

स्मार्ट सिटी में मात्र 325 करोड़ मिले
स्मार्ट सिटी की राशि के दुरुपयोग का आरोप पर मंत्री धारीवाल ने कहा कि स्मार्ट सिटी मे अभी तक मात्र 325 करोड़ रुपए मिले हैं। इतने ही पैसे राज्य सरकार से मिले हैं। जिसमें 88 करोड़ तो दशहरा मैदान में खर्च हो गए। शेष 70-80 करोड़ रुपए बस स्टाफ ओर सइकिल शेयरिंग सिस्टम और ऐसे कई छोटे-छोटे कार्य जो जनता के ज्यादा फायदे के नहीं है, उन पर पहले ही खर्च हो गए थे। कोटा में 4 हजार करोड़ के आसपास के कार्य चल रहे हैं। ये सब राशि यूआईटी की है।

केडीए अगले साल अस्तित्व में आएगा
मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि कोटा डवलपमेंट अ‍ॅथोरिटी अगले साल अस्तित्व में आ जाएगा। इस पर कार्य चल रहा है। केडीए में लाडपुरा तहसील का पूरा क्षेत्र कवर होगा। इसलिए कुछ समय लग रहा है। केडीए अस्तित्व में आने के बाद कोटा के विकास कार्य ओर तेजी से चल सकेंगे।

मुख्यमंत्री के बयान का समर्थन किया
मंत्री धारीवाल से जब जानना चाहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट और केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह के मिले होने का आरोप लगाया है। इस पर धारीवाल ने कहा कि ये बात सही तो है। मुख्यमंत्री ने बिल्कुल सही कहा है।

ट्रैफिक इंचार्ज को हटाया
छोटी-छोटी गलियों में ट्रैफिक पुलिस की ओर से चालान बनाने के मामले को लेकर मंत्री धारीवाल से जब पूछा तो उन्होंने कहा कि मैंने डीजीपी से बात की है। चालान सिर्फ एक्सीडेंटल जोन में ही बनाए जा सकते हैं। उन्होंने भी गलियों में चालान बनाने की कार्यवाही को गलत माना हंै। इसके बाद मैंने एसपी से बात की है। उन्होंने माना कि ट्रैफिक इंचार्ज राजेन्द्र कविया उनकी भी बात नहीं मान रहे हैं। इसलिए उसको हटाने के लिए एसपी को कहा। उन्होंने बताया कि ट्रैफिक इंचार्ज को हटा दिया है। जल्द ही नया ट्रैफिक इंचार्ज कोटा को मिलेगा।

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