कोटा में विकास कार्यों के लिए 190 करोड़ एवं 80 करोड़ के दो कार्यादेश जारी : धारीवाल

जयपुर/कोटा. नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री शान्ति धारीवाल ने गुरुवार को विधानसभा में कहा कि कोटा में विभिन्न विकास कार्यों के लिए 190 करोड़ रुपए के कार्यादेश जारी हो चुके हैं, जिनमें कोटा उत्तर, कोटा दक्षिण और लाडपुरा विधानसभा क्षेत्रों में विभिन्न कार्य शामिल हैं।

मंत्री धारीवाल ने प्रश्नकाल के दौरान इस संबंध में सदस्य द्वारा पूछे गए पूरक प्रश्न के जवाब में बताया कि कोटा में विकास कार्यों के लिए लगभग 80 करोड़ रुपए के विकास कार्यों का एक और कार्यादेश जारी हो चुका है, जिससे भी सड़कों के साथ ही अन्य कार्य हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि वर्षों पहले जिस कार्डिनेशन कमेटी का गठन किया गया था, वह आज भी कार्यरत है।

इससे पहले नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री ने विधायक संदीप शर्मा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि कोटा शहर में यूआईटी द्वारा जनवरी, 2018 से दिसम्बर, 2021 तक डामरीकरण व सुदृढ़ीकरण पर कुल राशि 114 करोड़ 77 लाख 31 हजार रुपए व्यय किए गए। उन्होंने इस अवधि में सड़कों के डामरीकरण एवं सुदृढ़ीकरण के कार्यों का विस्तृत विवरण सदन के पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि कोटा यूआईटी द्वारा जनवरी 2018 से दिसम्बर, 2021 तक पार्कों के सौन्दर्यकरण व विकास पर कोटा उत्तर विधानसभा क्षेत्र में 9 करोड़ 47 लाख 15 हजार रुपए, कोटा दक्षिण विधान सभा क्षेत्र में 12 करोड़ 48 लाख 96 हजार रुपए एवं लाडपुरा विधानसभा क्षेत्र में 9 करोड़ 59 लाख 7 हजार रुपए व्यय किए गए।

उन्होंने इस अवधि में पार्कों के सौंदर्यीकरण एवं विकास कार्यों का विधानसभा क्षेत्रवार विवरण सदन के पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि कोटा यूआईटी द्वारा जनवरी 2018 से दिसम्बर, 2021 तक सीसी सड़क निर्माण कार्य पर कोटा उत्तर विधानसभा क्षेत्र में 41 करोड़ 21 लाख 37 हजार रुपए, कोटा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में 40 करोड़ 96 लाख 76 हजार रुपए एवं लाडपुरा विधानसभा क्षेत्र में 11 करोड़ 66 लाख 17 हजार रुपए व्यय किए गए। उन्होंने इस अवधि में कराए गए सीसी रोड़ निर्माण कार्यों का विधानसभा क्षेत्रवार विवरण सदन के पटल पर रखा।

प्रत्येक नंदी गौशाला पर खर्च होंगे 111 करोड़: धारीवाल
संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने गुरुवार को विधानसभा में वित्तमंत्री की ओर से बताया कि प्रत्येक ब्लॉक पर नंदी गौशाला स्थापित करने पर 111 करोड़ खर्च किए जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 180 दिवस के लिए गौ-वंश के भरण पोषण के लिए भी गौशाआलों में वित्तीय सहायता राशि उपलब्ध कराई जाती है।

धारीवाल ने प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों के जवाब में कहा कि यह सही है कि बायोगैस सहभागिता योजना में केवल 20 लाख रुपए ही श्रीगंगानगर में खर्च किए गए हैं, क्योंकि योजना के तहत दूसरा कोई प्रस्ताव ही प्राप्त नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि योजना की निर्धारित शर्तों के अनुसार आधी राशि स्वयं एवं आधी राशि राज्य सरकार वहन करती है। उन्होंने यह भी बताया कि योजना के तहत गौशालाआें में एक वित्तीय वर्ष में गौवंश के भरण-पोषण के लिए अधिकतम 180 दिन के लिए पैसा दिया जाता है जो दो चरणों में माह अप्रेल एवं सितम्बर में दिया जाता है।

उन्होंने बताया कि इस सहायता राशि में बड़े पशु के लिए प्रति पशु 40 रुपए एवं छोटे पशु के लिए प्रति पशु 20 रुपये दिए जाते हैं। धारीवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि गौपालन विभाग से प्राप्त प्रस्ताव के आधार पर राशि उपलब्ध कराई जाती है और अब तक गौपालन विभाग से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर 5 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं, दूसरे कोई प्रस्ताव प्राप्त ही नहीं हुए है। उन्होंने यह भी बताया कि पंजीकृत गौशालाओं में घरेलू विद्युत कनेक्शन भी उपलब्ध कराया जाता है, जिसमें आधी राशि राज्य सरकार वहन करती है।

नगरीय विकास मंत्री ने बताया कि सेस के रूप में प्राप्त राशि गौशालाओं के आधारभूत संरचना एवं गौवंश के भरण-पोषण, बायोगैस संयत्र लगाने एवं गौवंश के संरक्षण व संर्वधन के साथ गौशालाओं को स्वावलम्बी बनाने पर खर्च की जाती है। उन्होंने यह भी अवगत कराया कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा वर्ष 2018 में मदिरा पर 20 प्रतिशत लगाई गई सेस राशि गौशालाओं में पशुओं के चारा पर खर्च की जा रही है। इससे पहले धारीवाल ने विधायक संयम लोढा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में गौसेस से प्राप्त कुल राशि में से विभिन्न मदों में किए गए। व्यय का मदवार एवं वर्षवार विवरण सदन के पटल पर रखा। उन्होंने गौशाला विकास और बायोगैस सहभागिता योजना में विगत तीन वर्षों में व्यय की गई राशि विवरण सदन के पटल पर रखा।

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