- 6 साल की मासूम से दुष्कर्म के आरोपी मौलवी अब्दुल रहीम को अंतिम सांस तक जेल व एक लाख जुर्माने की सजा
- न्यायाधीश ने दुष्कर्म के आरोपी की सजा के फैसले में लिखी कविता
कोटा. छह वर्ष की मासूम को इंसाफ देते हुए यह पंक्तियां न्यायाधीश दीपक दुबे ने फैसले में लिखी। पंक्तियों के माध्यम से उन्होंने 6 वर्षीय बालिका को सदैव खुश रहने और चहकती रहने का संदेश दिया। कोटा की पोक्सो न्यायालय क्रम-3 ने 6 साल की मासूम बालिका के साथ दुष्कर्म के आरोपी मदरसे के मौलवी अब्दुल रहीम को अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा से दंडित किया है।
वहीं आरोपी पर एक लाख रुपए जुर्माना भी लगाया है। इसके साथ ही न्यायाधीश दीपक दुबे ने एक संदेशपरक कविता भी इस आदेश के साथ लिखी है जिसमें बालिकाओं को बचाने के साथ ही आरोपियों के खिलाफ सख्त संदेश दिया गया है।
रोती हुई आई थी मासूम
13 नवंबर 2021 को फरियादी ने दीगोद थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी 6 वर्षीय लड़की के साथ उर्दू पढ़ाने वाले मौलवी ने दुष्कर्म किया है। रिपोर्ट में उन्होंने बताया कि मेरी लड़की दोपहर 3 बजे के करीब पढ़ने के लिए मौलवी अब्दुल रहीम के पास गई थी जो 4 बजे वापस रोती हुई आई, उसने बताया कि मौलवी ने मेरे साथ गलत काम किया है। वह रोने लगी तो मौलवी उसे छोड़कर भाग गया।
बालिका ने घर आकर पूरी बात अपने परिजनों को बताई। उसके बाद परिजन उसे लेकर थाने गए और मामला दर्ज कराया। इस रिपोर्ट पर धारा 376 आईपीसी व पोक्सो अधिनियम 2012 में प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया गया। अनुसंधान के दौरान फरियादी के बयान लिए गए, संपूर्ण अनुसंधान में आरोपी अब्दुल रहीम (43) पुत्र अब्दुल कद्दूस, निवासी शिवदास घाट की गली रामपुरा कोतवाली कोटा शहर के खिलाफ अपराध प्रमाणित पाया गया।
न्यायालय की टिप्पणी: मौलवी ने पवित्र भावनाओं को आहत किया
न्यायाधीश ने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा कि अभियुक्त द्वारा धार्मिक शिक्षक जैसे पवित्र पद पर रहते हुए 6 वर्षीय मासूम पीड़िता को अपनी हवस का शिकार बनाकर ना केवल धर्म गुरुओं के प्रति आम जनमानस की पवित्र भावनाओं को गंभीरता पूर्वक आहत किया है, बल्कि मासूम पीड़िता के मन मस्तिष्क पर भी अपने कुकृत्य की ऐसी राक्षसी छाप छोड़ी है। यही कारण है कि जब पीड़िता से पूछा गया कि अभियुक्त उसे बेटी की तरह प्यार करता था तो पीड़िता ने तुरंत इंकार कर दिया था, पीड़िता का यह आचरण अभियुक्त के प्रति घृणा को दर्शाता है।
न्यायाधीश ने लिखी कविता
ओ मेरी नन्ही मासूम परी रानी,
तुम खुश हो जाओ।
तुम्हे रुलाने वाले दुष्ट राक्षस को
हमने जिंदगी की आखिरी सांस तक के लिए
सलाखों के पीछे भेज दिया है।
तुम इस धरती पर निडर होकर
अपने सपनों को खुले आसमान में
पंख लगाकर उड़ सकती हो।
तुम सदैव हंसती रहो, चहकती रहो,
बस! यही प्रयास है हमारा।