कोटा. रिवर फ्रंट पर बनाए जा रहे विश्व के सबसे बड़े घंटे को लेकर असमंजस की स्थिति हो गई है। इस घंटी के निर्माण को लेकर एक बार फिर वक्तव्य जारी हुए हैं, जिसे लेकर कई तरह की बातें सामने आई है। इंजीनियर देवेंद्र कुमार आर्य ने बताया कि घंटी का स्किन वजन 57000 किलो घोषित किया गया था, परंतु इसमें लगने वाली ज्वैलरी के वजन की गणना नहीं की गई थी, इस गणना के बाद इसका वजन बढ़कर 82 हजार किलो हो रहा है।
आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया ने बताया कि विश्व की सबसे बड़ी इस घंटी की ज्वैलरी को और अधिक मजबूत करना होगा, क्योंकि बिना मजबूती के इस का टूटना निश्चित था, इसलिए इसकी स्ट्रैंथ को ज्वैलरी का डिजाइन देकर इसकी लुक चेंज की गई है, जो काफी आकर्षक है। आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया ने बताया कि ज्वैलरी नहीं होने की वजह से मास्को की घंटी टूटी थी, इसलिए यह ध्यान में रखते हुए कि किस जगह घंटे से इसका पेंडुलम टकराएगा, उस हिस्से को खास स्ट्रेंथ दी गई है और उसको ज्वैलरी का रूप दिया गया है। इस घंटे की ज्वैलरी का वजन तकरीबन 25 हजार किलो है, वह भी घंटी के साथ ही कास्ट होगा। इस प्रकार इस घंटे का कुल वजन अब 82 हजार किलो होगा।
कोटा के चम्बल रिवर फ्रंट पर लगने वाली इस घंटी का स्वरूपरूप देश के सर्वश्रेष्ठ आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया ने इस तरह डिजाइन किया कि यह कभी टूटे भी नहीं और कम वजन में भी उनसे भारी बनाई जा सके, क्योंकि इस घंटी में किसी भी तरह का जॉइंट नहीं है। यह सिंगल कास्टिंग घंटी है, इसलिए इसमें टूटने के चांस नहीं है।
टेंडर बदलना होगा
एलएन इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक एलएन अग्रवाल का कहना है कि यूटीआई ने टेंडर में 30 टन की ही घंटी बनाने का आदेश किया था। रिवरफ्रंट के आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया इसे 80 टन की बनाना चाहते हैं, लेकिन टेंडर में केवल 3.90 करोड़ रुपए का ही कार्य आदेश जारी हुआ है। न्यास को इसके लिए दोबारा टेंडर करना पड़ेगा।
कास्टिंग पर असमंजस
इंजीनियर का कहना है कि बारिश के सीजन में कास्टिंग नहीं हो सकती है। वातावरण में नमी रहती है। लिक्विड में बुलबुले बन सकते हैं, घंटी बिगड़ सकती है। कास्टिंग करने के पहले फैक्ट्री स्थापित करने के बाद 150 दिन लगेंगे. ऐसे में जुलाई आ जाएगी। उस समय कास्टिंग नहीं हो पाएगी।