बूंदी. अपने बूंदी निवासी रिश्तेदार के जमीन संबंधी कार्य को तत्काल करवाने के लिए हरियाणा निवासी एक व्यक्ति खुद को पंजाब का राज्यसभा सांसद बताकर सर्किट हाउस में ठाठ से रुका। इतना ही नहीं वह जिला कलक्टर रेणु जयपाल से भी मिला, जहां उसने अपना परिचय राज्य सभा सांसद के रूप में ही दिया तथा अपने रिश्तेदार का जमीन का काम तत्काल हल करवाने के लिए रौब दिखाया। जिला कलक्टर को शक होने पर जब इसकी तहकीकात शुरू हुई तो फर्जी राज्यसभा सांसद पुलिस की हवालात में पहुंच गया।
कोतवाली थाना अधिकारी सहदेव सिंह मीणा ने बताया कि जिला पुलिस अधीक्षक जय यादव को जिला कलक्टर कार्यालय से सूचना मिली कि दो व्यक्ति एक सफेद रंग की इंडिका में सरकारी कार्यालयों में घूम रहे हैं, जिनमें से एक आदमी जो पगड़ी में है वह अपने आपको पंजाब से राज्यसभा सांसद (भाजपा) नरेंद्र सिंह गिल होना बता रहा है, जो संदिग्ध प्रतीत हो रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक किशोरी लाल के मार्गदर्शन व वृत्ताधिकारी धर्मेन्द्र कुमार शर्मा के सुपरविजन में टीम गठित कर 2 जनों को गिरफ्तार किया गया और उनकी कार भी जब्त कर ली गई।
शनिवार को कलक्टर के निजी सहायक पुनीत बिहारी भारद्वाज ने रिपोर्ट पेश की कि 7 दिसम्बर को खुद को राज्यसभा सांसद बताते हुए नरेंद्र सिंह गिल नाम के शख्स ने जिला कलक्टर रेणु जयपाल से मुलाकात की। जिला कलक्टर से मुलाकात के उपरांत यह व्यक्ति मेरे पास आकर बैठा तथा अपना परिचय देकर चले गए। 8 दिसम्बर को ये फिर मेरे पास आया और कहा कि तहसील हिण्डोली में मुझे कोई जमीन देखनी है। उन्होंने संभागीय आयुक्त कोटा के नम्बर लिए और कहा कि होशियारपुर के आईएएस नवीन महाजन मेरे पड़ौसी हैं। उनके भी इन्होंने नम्बर लिए। जिला कलक्टर ने इस शख्स के बारे में पता लगाने को कहा। यह भी देखने को कहा कि ये किसी राज्य से एमपी है या नहीं?
इंटरनेट पर सर्च करने पर इस नाम से न तो वर्तमान में कोई एमपी बताया गया और न ही पूर्व में ही कोई इस नाम से एमपी बताया गया। लोकसभा अध्यक्ष के कोटा कैम्प के कार्यालय से भी जानकारी की तो वहां से भी इस नाम से कोई एमपी नहीं बताया गया। इस संबंध में जिला कलक्टर को अवगत कराया गया कि इस नाम से कोई एमपी होना सामने नहीं आया है। गिल ने स्वयं को पंजाब से एमपी होना बताया था, इसलिए जिला कलक्टर ने चंडीगढ़ के जिला कलक्टर कार्यालय व चण्डीगढ़ सांसद के यहां से जानकारी लेने के लिए निर्देश दिए।
जिला कलक्टर चंडीगढ़ से फोन पर जानकारी करने पर उनके द्वारा भी इस नाम से कोई एमपी नहीं होना बताया गया। चंडीगढ़ से एमपी किरण खैर के निजी सचिव तिवाड़ी से जानकारी करने पर बताया गया कि पंजाब से राज्यसभा से इस नाम से कोई एमपी नहीं है। इन समस्त जानकारियों से फिर जिला कलक्टर को अवगत कराया गया। जिला कलक्टर ने निर्देश दिए कि गिल के बारे में पुलिस से जांच करवाई जाए। इस पर पुलिस ने धारा 170, 171, 419, 120 बी आईपीसी दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया।
सरकारी कार्यालयों में घूमा, विजिटिंग कार्ड में लिख रखा था ड्रइवर का नंबर
पुलिस ने फर्जी राज्यसभा सांसद को पकड़ने लिए सफेद कार को ट्रेस आउट करने के लिए सीसीटीवी फुटेज व तकनीकी विश्लेषण किया गया। जांच में पता चला कि फर्जी व्यक्ति सर्किट हाउस बून्दी में भी राज्यसभा सांसद बन कर रुका व लोगों से मिल कर विजिटिंग कार्ड दे रहा था। विजिटिंग कार्ड की जांच करने पर उसमें अंकित फोन नंबर ड्राइवर सुनील का निकला। तकनीकी विश्लेषण से वाहन के मालिक का नाम पता ज्ञात होने पर वाहन मालिक की तलाश उसके पते पर की गई तो वाहन मालिक व गाड़ी घर पर नहीं मिली। वाहन मालिक का हिण्डोली में होना सामने आया। इस पर टीम हिण्डोली पहुंची तो पुलिस की भनक लगने से यह वहां से फरार हो गया।
पुलिस ने इसे देर रात को टनल से पहले हाइवे पर गाड़ी नम्बर के आधार पर रोक कर तलाशी ली। इसमें एक व्यक्ति मिला, जिसने नाम पता रविन्द्र सिंह छाबड़ा पुत्र जोगेन्द्र सिंह (55) निवासी सथूर नाका बालचन्द पाड़ा बूंदी होना बताया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। रविन्द्र सिंह छाबडा ने पूछताछ में बताया कि उसके जमीन संबंधी कार्य को हल करने के लिए उसका रिश्तेदार जगजीत सिंह बूंदी आया था। वह हिमाचल प्रदेश क उना जिले के प्रतापनगर अंबा का निवासी है। जो मेरे साथ सरकारी कार्यालयों में घूम रहा था, उसने स्वयं को राज्यसभा सांसद नरेंद्र सिंह गिल होना बताया था। इस पर संदिग्ध जगजीत सिंह को डिटेन कर थाना कोतवाली में लाया गया, जिसने पूछताछ में अपना नाम जगजीत सिंह होना बताया। उसने स्वीकार किया वह राज्यसभा सांसद केनाम से सर्किट हाउस में रुका तथा जिला कलक्टर से भी मिला था। उससे पूछताछ जारी है।
छाबड़ा के खिलाफ दर्ज हैं कई मुकदमे
कोतवाली थानाधिकारी सहदेव सिंह मीणा ने बताया कि मामले में गिरफ्तार बालचन्द पाडा निवासी रविन्द्र सिंह छाबडा भी अपराधी प्रवृत्ति का व्यक्ति है। इसके विरुद्ध वर्ष 1998 में विद्युत चोरी, वर्ष 2007 में लापरवाही से दुर्घटना करना, वर्ष 2008 में लोक सेवक जिला परिवहन अधिकारी पर जानलेवा हमला करना एव राजकार्य में बाधा उत्पन्न करना, वर्ष 2011 में लापरवाही से दुर्घटना करना, वर्ष 2014 में जानलेवा हमला करने के मामलों में मुकदमे दर्ज हैं।