जयपुर. राजस्थान आवासन मंडल द्वारा जयपुर के प्रताप नगर में विकसित देश के पहले एवं महत्वाकांक्षी कोचिंग हब प्रोजेक्ट में निर्मित संस्थानिक सम्पत्ति की आवंटन प्रक्रिया 25 जुलाई से प्रारंभ होगी। नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री शांति धारीवाल ने मंगलवार को जयपुर में हॉस्पिटल रोड स्थित अपने राजकीय निवास पर इसके आवंटन से संबंधित पुस्तिका एवं पोस्टर का विमोचन किया। प्रमुख शासन सचिव (नगरीय विकास) कुंजीलाल मीणा एवं आवासन आयुक्त पवन अरोड़ा भी इस मौके पर मौजूद थे।
धारीवाल ने कहा कि प्रताप नगर में कोचिंग हब के बनने से एक ही स्थान पर कोचिंग गतिविधियां संचालित हो सकेंगी। उन्होंने कहा कि कोटा ने जहां कोचिंग सिटी के रूप में नाम कमाया है वहीं अब जयपुर भी कोचिंग हब के रूप में अपनी अलग पहचान बनाएगा। इस अवसर पर नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीणा ने कहा कि करीब 228 करोड़ रुपए की इस योजना में केन्द्रीयकृत पुस्तकालय के साथ-साथ छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों के लिए आवश्यक सुविधाएं भी विकसित की जा रही हैं।
आवासन आयुक्त पवन अरोडा ने बताया कि प्रताप नगर के हल्दीघाटी मार्ग सेक्टर-16 में 65 हजार वर्ग मीटर भूमि पर दो चरणों में कोचिंग हब विकसित किया जा रहा है। इससे लगभग 65 से 70 हजार छात्रों को शैक्षणिक सुविधा का लाभ मिलेगा। पहले चरण में निर्मित 5 ब्लॉक में कुल 140 कोचिंग परिसरों (परिसम्पत्तियों) के आवंटन की प्रक्रिया प्रारंभ की जा रही है। करीब 1588.06 वर्गफीट से 8025.56 वर्गफीट तक सुपर बिल्टअप क्षेत्रफल के इन सभी कोचिंग परिसरों का आवंटन लॉटरी के माध्यम से किया जाएगा। इसके लिए आॅनलाइन आवेदन 25 जुलाई से 25 अगस्त, 2022 तक किए जा सकेंगे।
यह होगी आवेदन की पात्रता
आवासन आयुक्त ने बताया कि जयपुर शहर में संचालित कोचिंग संस्थानों को आवंटन में वरीयता दी जाएगी। कम से कम तीन वर्षों से कोचिंग के क्षेत्र में कार्यरत एवं पंजीकृत संस्थान ही आवेदन कर सकेंगे। निर्मित कोचिंग परिसरों को क्षेत्रफल के आधार पर 6 श्रेणियों में बांटा गया है। कोई भी आवेदक किसी एक श्रेणी में ही आवेदन कर सकेगा।
बाजार दर से 25 से 30 प्रतिशत कम कीमतों पर होगा आवंटन
आवासन आयुक्त ने बताया कि आवासन मंडल ने कोचिंग परिसरों की आवंटन दरें बाजार मूल्य से 30 प्रतिशत तक कम रखी है। श्रेणीवार प्रति वर्गफीट दर न्यूनतम 4233 रुपए से अधिकतम 4619 रुपए प्रति वर्गफीट निर्धारित की गई है जो कि बाजार में प्रचलित दरों से 25 से 30 प्रतिशत तक कम है। नगर निगम को देय राशि एवं अन्य विविध व्यय अलग से देने होंगे।