नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) को नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले की संवैधानिक वैधता की जांच करेगा।
मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी, न्यायमूर्ति एस.रवींद्र भट, बेला एम त्रिवेदी और जे.बी. पारदीवाला की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि ईडब्ल्यूएस के अलावा आरक्षण देने के उद्देश्य से मुसलमानों को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा माना जा सकता है या नहीं? इस सवाल पर भी वह विचार करेगी।
संविधान पीठ ने कहा कि वह प्रक्रिया संबंधी पहलुओं और इससे जुड़े ब्यौरे पर 6 सितंबर को फैसला करेगी। इसके बाद 13 सितंबर से सुनवाई शुरू करेगी। शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण मामले की जांच पहले करेगी। इसके बाद आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर विचार करेगी। उच्च न्यायालय ने मुसलमानों को आरक्षण देने वाले एक स्थानीय कानून को खारिज कर दिया था।
अयोध्या प्रकरण में अवमानना याचिकाएं भी बंद करने का आदेश
उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 1992 में अयोध्या के बाबरी ढांचे को ढहाने से रोकने में उत्तरप्रदेश सरकार और इसके कई अधिकारियों पर विफल रहने के आरोप लगाने वाली सभी अवमानना याचिकाओं को मंगलवार को बंद दिया। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने राम जन्मभूमि विवाद से संबंधित 2019 के शीर्ष अदालत के फैसले के मद्देनजर याचिकाओं को बंद करने का आदेश पारित किया।
2002 के गुजरात दंगों से जुड़े मामलों को किया बंद
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित मामलों को अब गैरजरूरी बताते हुए अपनी कार्यवाही को बंद कर दिया। मुख्य न्यायाधीश यू.यू.ललित और न्यायमूर्ति एस.रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति जे.बी.पारदीवाला की पीठ ने अपना आदेश पारित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से हिंसा के मामलों में उचित जांच की मांग समेत 10 याचिकाओं का निपटारा कर दिया गया है।
इसलिए अब ये मामले आवश्यक नहीं रहे। पीठ ने कहा कि अदालत ने दंगों से जुड़े 9 मामलों की जांच और मुकदमा चलाने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था। उनमें से 8 मामलों में सुनवाई पूरी हो चुकी है। अदालत को अब इन मामलों पर सुनवाई करने की आवश्यकता नहीं है। एक मामला निचली अदालत में चल रहा है, जो ‘अंतिम बहस’ की अवस्था में है।