नई दिल्ली. जंग की वजह से यूक्रेन में फंसे भारतीयों का मसला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने इस मामले पर अटॉर्नी जनरल को कोर्ट में तलब किया है। कोर्ट में CJI ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि आखिर इस मामले में कोर्ट क्या कर सकता है? हालांकि, CJI ने बाद में कहा कि यह जरूरी मुद्दा है। आगे सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा कि रोमानिया बॉर्डर पर फंसे छात्रों को निकालने के लिए कदम उठाए जाएं।
याचिका में कहा गया था कि यूक्रेन के Moldova/Romania बॉर्डर पर करीब 250 छात्र फंसे हैं। कहा गया कि पिछले छह दिनों से वहां भारत की तरफ से कोई फ्लाइट नहीं गई है। यह याचिका उन परिवारों ने दायर की है जो यूक्रेन में फंसे हैं। छात्रों के परिवारवालों की तरफ से याचिका एडवोकेट एएम डार ने दायर की। CJI ने कहा कि मामले पर सुनवाई जरूरी है क्योंकि इसके लिए एडवोकेट (डार) कश्मीर से आए हैं।
याचिकाकर्ता वकील ने कहा कि वहां माइनस 7 तापमान है। कोर्ट भारतीय विदेश मंत्रालय को वहां फंसे लोगों को राहत मुहैया कराने का निर्देश दें। सीजेआई ने कहा कि हम इस मामले में क्या कर सकते हैं? कल को आप कहोगे कि पुतिन को निर्देश जारी करें। CJI ने कहा कि क्या हम पुतिन से युद्ध रोकने के लिए कह सकते हैं? छात्रों के साथ हमारी पूरी सहानुभूति और चिंता है। भारत सरकार अपना काम कर रही है।
जल्दी सुनवाई की गुहार पर सीजेआई जस्टिस एनवी रमणा ने कहा कि हम अटॉर्नी जनरल को तलब कर रहे हैं। फिर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल जब कोर्ट में पेश हुए तो उनकी तरफ से कहा गया कि वह इसको पुख्ता करेंगे। उन्होंने बताया कि छात्रों के मसले पर PM मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की दोनों से बात की है।
सुनवाई के दौरान एडवोकेट डार ने बताया कि फंसे हुए छात्र Odessa की नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के छात्र हैं। कहा गया कि ये करीब 250 छात्र हैं जो यूक्रेन का बॉर्डर क्रॉस नहीं कर पा रहे हैं। अटॉर्नी जनरल ने बताया कि भारत सरकार ने फंसे छात्रों को निकालने में मदद के लिए चार मंत्रियों को भी भेजा है, जिसमें एक मंत्री रोमेनिया भी गए हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन की सीमा को वे लोग क्यों पार नहीं कर पाए, यह क्रॉस चेक किया जाएगा क्योंकि यूक्रेन का कहना है कि वह सबको वहां से निकलने दे रहा है।