सबसे पहले दिया था अयोध्या में राम मंदिर का पुरातात्विक प्रमाण
वाराणसी. भारत के प्रख्यात आर्कियोलॉजिस्ट पद्मविभूषण से सम्मानित प्रोफेसर बीबी लाल का शनिवार को निधन हो गया। वे 101 साल के थे और बहुत दिनों से बीमार चल रहे थे। शनिवार को उन्होंने दिल्ली स्थित एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। पीएम मोदी ने पद्मविभूषण प्रोफेसर बीबी लाल के निधन पर शोक जताया है। पीएम ने ट्वीट किया, ‘बी बी लाल एक उत्कृष्ट व्यक्तित्व थे।
संस्कृति और पुरातत्व में उनका योगदान अद्वितीय है। उन्हें एक महान बुद्धिजीवी के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने हमारे समृद्ध अतीत के साथ हमारे जुड़ाव को गहरा किया। उनके निधन से आहत हूं।’ आॅर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व एडिशनल डायरेक्टर जनरल समेत विभिन्न पुराविदों ने कहा कि प्रोफेसर लाल ऑर्कियोलॉजी के भीष्म पितामह थे। आज बनारस हिंदू विश्वविद्यालय उनका ऋणि है, वो हमारे गुरु हैं। आज अयोध्या में राम मंदिर तेजी से तैयार हो रहा है। मंदिर वहां पर क्यों बने, इसका आधार तैयार करने में प्रो. लाल की भूमिका काफी बड़ी है।
प्रो. बीबी लाल के शिष्य प्रो. अशोक सिंह ने कहा, ‘बीएचयू के पुराविद प्रोफेसर एके नारायण ने 60 के दशक में पहली बार अयोध्या में पुरातात्विक उत्खनन का काम शुरू कराया। बीएचयू का यह प्रोजेक्ट को किसी वजह से आगे नहीं बढ़ा सका, तो उन्होंने उत्खनन का काम अपने हाथ में लिया। जब वहां से प्राचीन वस्तुएं मिलीं, तो उन्होंने बीएचयू को पुरातात्विक वस्तुओं के बारे जानकारी दी थी। इसी पुरातात्विक साक्ष्य के आधार पर कोर्ट में यह सिद्ध हो सका कि अयोध्या में मंदिर था।’