कोटा. भाजपा के मुकेश मेघवाल को पार्टी के पूरे 13 सदस्यों के वोट देकर जिला प्रमुख का ताज पहना दिया। हालांकि पहले मुकेश वर्मा को भाजपा की ओर से जिला प्रमुख का उम्मीदवार बनाने की चर्चा थी, लेकिन आखिरी समय में मुकेश मेघवाल को उम्मीदवार बना दिया, जिस पर बाद में मुकेश वर्मा ने नाराजगी भी जताई। भाजपा की ओर से मुकेश मेघवाल को प्रत्याशी घोषित नहीं कर सीधे मुकेश मेघवाल को साथ लेकर भाजपा के नेता जिला परिषद पहुंचे, जहां पर रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।
उसके बाद वे वापस चले गए। फिर थोड़ी देर कांगे्रस की ओर कांगे्रस की गीता मेघवाल कांगे्रस नेताओं के साथ नामांकन दाखिल करने के लिए पहुंची। दोपहर 2 से 5 बजे तक मतदान का समय था। सबसे पहले 3 बजकर 5 मिनट पर पूर्व मंत्री राम गोपाल बैरवा, कांगे्रस शहर जिला कांगे्रस अध्यक्ष रविन्द्र त्यागी सहित अन्य कांगे्रस नेताओं के साथ कांगे्रस के नव निर्वाचित जिला परिषद सदस्य मतदान करने के लिए पहुंचे।
उसके बाद 3 बजकर 50 मिनट पर पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी के नेतृत्व में भाजपा के सदस्य मतदान के लिए पहुंचे। मतदान होने के तुरंत बाद ही मतगणना की गई। शाम 4.15 बजे रिटर्निंग अधिकारी की ओर से भाजपा के मुकेश मेघवाल को 13 और कांगे्रस की गीता को 10 मत मिलने की घोषणा की। उसके बाद रिटर्निंग ने जिला प्रमुख मुकेश मेघवाल को निर्वाचित होने का प्रमाण पत्र देकर शपथ दिलाई।
हमारे कुछ नेताओं को कम पढ़ा लिखा कठपुतली जिला प्रमुख चाहिए था : वर्मा
वार्ड एक से जीते भाजपा के मुकेश वर्मा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि पार्टी की ओर से पहले मुझे ही जिला प्रमुख बनाने की तैयारी थी। इसके लिए मेरा नामांकन फार्म भी करवाया गया था। विधायक कल्पना देवी और श्रीकृष्ण बिरला ने पूरा साथ दिया, लेकिन हमारे कुछ नेताओं को एक पढ़ा-लिखा जिला प्रमुख नहीं चाहिए था, उनको सिर्फ 5वीं तक पढ़ा जिला प्रमुख चाहिए था, सिर्फ उनके कहे अनुसार चले, अपने मन से कुछ नहीं कर सके।
उन्होने भाजपा नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि मुझे तो वो चुनाव में हरवाना चाहते थे, इसके लिए उन्होने कई तरह के हथकंडे अपनाए, मेरे वार्ड क्षेत्र के मतदाताओं के बीच जाकर मेरे लिए जाति सूचक शब्दों से अपमानित करवाया, मेरे 2 बच्चे होने के बावजूद यह प्रचार किया गया कि उसके तो 4 बच्चे है। मुझे हर तरह से ब्लैम किया गया, लेकिन मतदाताओं ने मुझ पर विश्वास जताया, फिर मेरे को जिला प्रमुख बनाने के लिए हमारी विधायक ने पूरी कोशिश की, लेकिन कल रात को मेरी बहनों को लेकर मेरे ऊपर दबाव बनाकर प्रमुख का चुनाव नहीं लड़ने का दबाव बनाया गया, मेघवाल समाज की बैठके करवाकर दबाव बनाया गया। कहने को बहुत कुछ है, लेकिन अब क्या करें।
इस चुनाव में शिक्षा का महत्व नहीं, जनाधार का महत्व
वहीं इस पूरे मामले को लेकर जब पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी से बातचीत की तो उन्होने पार्टी में कोई फूट नहीं है, राजनीति में पार्टी का निर्णय अहम होता है। इस चुनाव में शिक्षा का कोई महत्व नही है। जनाधार के आधार पर फैसला होता है। अगर पार्टी में फूट होती है तो क्रॉस वोटिंग होती। इसलिए पार्टी में कोई फूट नहीं है।