- कोटा में प्रदेश का तीसरा सरकारी अस्पताल, जहां किडनी ट्रांसप्लांट संभव
- 16 सदस्यों की टीम ने 5 घंटे की मेहनत के बाद पाई सफलता
- मरीज का ज्यादा खर्च नहीं, जांचें भी अस्पताल में हुई
कोटा. हाड़ौती और आस-पास के इलाकों के लोगों के लिए खुशखबरी है। बुधवार को कोटा की चिकित्सा क्षेत्र की उपलब्धियों में नया अध्याय जुड़ गया। कोटा मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सफलतापूर्वक किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन किया गया। मरीज के सभी पैरामीटर सामान्य आ रहे हैं और सेहत पर लगातार नजर भी रखी जा रही है।
प्रदेश में सरकारी स्तर पर किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा वाला कोटा तीसरा शहर हो गया है। ट्रांसप्लांट के लिए 16 लोगों की टीम ने 5 घंटे मेहनत की। इसके लिए जयपुर से भी चिकित्सक कोटा आए। मरीज का ज्यादा कोई खर्चा नहीं हुआ है। कई जांच भी उसकी सरकारी स्तर पर ही करवाई गई। सबकुछ निशुल्क ही था।
प्राचार्य मेडिकल कॉलेज डॉ.विजय सरदाना ने बताया कि मेडिकल कॉलेज कोटा को किडनी प्रत्यारोपण की स्वीकृति 30 जुलाई 2021 को प्राप्त हुई थी, जिसमें आवश्यक सुविधाओं एवं उपकरणों का विस्तार कर स्थानीय चिकित्सकों के दल के द्वारा बुधवार को सफलतापूर्वक किडनी प्रत्यारोपण किया गया। उन्होंने बताया कि किडनी प्रत्यारोपण के लिए चिकित्सा मानकों के अनुरूप आवश्यक प्रक्रिया अपनाई गई, जिसमें किडनी दान करने वाले व्यक्ति के आवश्यक टेस्ट किए गए। रोगी को उसकी मां ने अपनी किड्नी दान की जो सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई।
किडनी प्रत्यारोपण के लिए स्टेट लेवल ऑथराइजेशन कमेटी से स्वीकृति भी ली गई। सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज जयपुर से बैकअप के लिए यूरोलोजी विभाग से डॉ.एस.एस यादव एवं डॉ.अनुपमा गुप्ता उपस्थित रही। उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेज कोटा की टीम से यूरोलोजी विभाग से डॉ. निलेश जैन, डॉ. शैलेंद्र गोयल, डॉ.अंकुर झंवर, डॉ.शिवशंकर एवं नेफ्रोलॉजी विभाग से डॉ.विकास खंडेलिया एवं एनस्थीसिया विभाग से डॉ.एस.सी दुलारा, डॉ. सीएल खेड़िया, डॉ.हंसराज एवं रेजिडेंट डॉक्टर्स द्वारा किडनी ट्रांसप्लांट का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया।
किसका हुआ ट्रांसप्लांट
पहला किडनी ट्रांसप्लांट नैनवां के गुमान सिंह (40) का हुआ है। गुमान सिंह की दोनों किडनी खराब थीं। कोटा आने पर जांच कराई जिसमें मां शैली बाई की किडनी में मैच हो गई। मां ने स्वीकृति भी दे दी। गुमान सिंह मेडिकल कॉलेज के नेफ्रोलॉजी वार्ड में 6 महीने से भर्ती था। पहले आॅपरेशन 22 अप्रैल को होना था लेकिन जयपुर से टीम नहीं आने की वजह से आॅपरेशन नहीं हो पाया, बुधवार को आॅपरेशन किया गया।
ऐसे लगे पांच घंटे
डॉ. निलेश जैन ने बताया कि ऑपरेशन में 5 घंटे से ज्यादा का समय लगा। इसमे डोनर गुमान सिंह की मां को ऑपरेट करने में सवा दो घंटे का समय लगा। इसके बाद गुमान सिंह को ऑपरेट करने में साढ़े तीन घंटे का समय लगा। इसमें डॉक्टर्स समेत 16 जनों का स्टाफ लगा।
7 करोड़ रुपए से बनी है ट्रांसप्लांट यूनिट
प्रदेश में कोटा तीसरा शहर है, जहां पर सरकारी स्तर पर किडनी ट्रांसफर की सुविधा उपलब्ध हो रही है। मेडिकल कॉलेज में 7 करोड़ रुपए की लागत से किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट बनकर तैयार हुई है। इसमें दो मॉड्यूलर ओटी के साथ 3 बेड का आइसोलेशन आईसीयू तैयार है।
अब तक सब ठीक
नेफ्रोलॉजी विभाग अध्यक्ष डॉ.विकास खंडेलिया ने बताया कि मरीज के सभी पैरामीटर ठीक चल रहे हैं। यूरिन भी ठीक से पास हो रहा है। इसके अलावा लगातार ब्लड और यूरिन के कई टेस्ट करा रहे हैं। डॉ. खंडेलिया ने बताया कि ट्रांसप्लांट के तुरंत बाद ही किडनी में रिजेक्शन और इन्फेक्शन का खतरा मरीज को रहता है। इसके चलते यूरिन का प्रेशर और मात्रा दोनों कम हो जाती है।
प्रशासन ने सराहा
प्रशासन ने न्यू मेडिकल कॉलेज के सुपरस्पेश्यलिटी चिकित्सालय में हाड़ौती का पहला किडनी ट्रांसप्लांट का आॅपरेशन सफलतापूर्वक करने पर बधाई एवं शुभकामनाएं दी। डिविजनल कमिश्नर दीपक नन्दी ने प्राचार्य मेडिकल कॉलेज डॉ. विजय सरदाना, सुपरस्पेश्यलिटी चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. निलेश जैन एवं उनकी समस्त चिकित्सकीय टीम को प्रशस्ति पत्र जारी कर बधाई दी।
मंत्री शांति धारीवाल ने दी चिकित्सकों की टीम को बधाई
इस उपलब्धि पर नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने मेडिकल कॉलेज की चिकित्सकों की टीम को बधाई दी। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ विजय सरदाना एवं अस्पताल अधीक्षक डॉ चंद्रशेखर सुशील से उन्होंने फोन पर वार्ता कर किडनी ट्रांसप्लांट करने वाली पूरी टीम को शुभकामनाएं दी। साथ ही रोगी और डोनर की कुशलक्षेम पूछी। मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि कोटा में चिकित्सा सेवा में लगातार बढ़ोतरी की जा रही है। सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर अति संवेदनशील है वही मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ भी ज्यादा से ज्यादा रोगियों को मिले इसके लिए विशेष निर्देश दिए गए हैं।