- मंदी व महंगाई की मार से दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं पस्त, पर भारत का इस मोर्चे पर शानदार प्रदर्शन
नई दिल्ली. कोरोना महामारी से उबरने की कोशिश के दौरान जियो-पॉलिटिकल कारणों की वजह से उत्पन्न गतिरोध के बीच चालू वित्त वर्ष की जून में समाप्त तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 13.5 प्रतिशत रही है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह दर 20.1 प्रतिशत रही थी। देश की विकास दर पिछली यानी जनवरी-मार्च तिमाही की तुलना में काफी बेहतर रही, जिसमें जीडीपी ग्रोथ रेट मात्र 4.1% थी।
चालू वित्त वर्ष की शुरूआत से ही रूस यूक्रेन संकट के कारण वैश्विक स्तर पर महंगाई में तेज बढ़ोतरी हुई है। कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी देखा गया है। घरेलू अर्थव्यवस्था भी इससे बच नहीं सकी। मांग में सुस्ती देखी गई। बीच-बीच में कोरोना के मामलों में वृद्धि का असर भी पड़ रहा है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार इस तिमाही में रियल जीडीपी 36.85 लाख करोड़ रुपए पर रहा जबकि जून 2021 में समाप्त तिमाही में यह 32.46 लाख करोड़ रुपए रहा था। इस तरह से इसमें 13.5 प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गयी है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह बढोतरी 20.1 प्रतिशत रही थी।
वर्तमान मूल्य पर नॉमिनल जीडीपी 64.95 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 51.27 लाख करोड़ रुपए रहा था। इस तरह से इसमें 26.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह वृद्धि 32.4 प्रतिशत रही थी। आरबीआई ने इस महीने की शुरूआत में अपनी मौद्रिक नीति संबंधी बैठक में कहा था कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट करीब 16.2% रहने की संभावना है। आरबीआई के अनुमान से जीडीपी कुछ ही प्रतिशत कम रही है।
मंदी की चपेट में आए अमरीका समेत कई देश
भारत की अर्थव्यवस्था ने ये शानदार आंकड़े ऐसे समय दिए हैं, जब दुनिया की कई विकसित अर्थव्यवस्थाएं पस्त हो चुकी हैं। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमरीका की बात करें तो वह औपचारिक रूप से मंदी की चपेट में आ गया है। जून तिमाही के दौरान अमरीकी जीडीपी में 0.6 फीसदी की गिरावट आई।
इससे पहले मार्च तिमाही में अमरीका की अर्थव्यवस्था का आकार 1.6 फीसदी कम हो गया था। अगर कोई अर्थव्यवस्था इकोनॉमी लगातार दो तिमाही में गिरावट का शिकार होती है, तो कहा जाता है कि वह अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ गई है। ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था भी मंदी में गिरने की कगार पर है। जनवरी तिमाही में ब्रिटिश इकोनॉमी में 0.8 फीसदी की गिरावट आई थी। वहां सभी मैक्रोइकोनॉमिक इंडिकेटर्स से जून तिमाही में भी जीडीपी में गिरावट के संकेत मिल रहे हैं।
एक साल में सबसे तेज तरक्की
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, जून तिमाही के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछले एक साल की सबसे तेज दर से तरक्की की। इससे पहले जून 2021 तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 20.1 फीसदी की दर से वृद्धि करने का रिकॉर्ड बनाया था। भारतीय अर्थव्यवस्था को पिछले साल के कमजोर आधार और महामारी का असर कम होने के बाद उपभोग में सुधार से मदद मिली है। इसके अलावा काबू में आती महंगाई ने भी राहत दी है।