कोयले के अभाव में छत्तीसगढ़ में 7500 मेगावाट के पावर प्लांट बन्द

रायपुर.
मोदी सरकार के मंदी से उद्योग जगत को उबारने की चल रही कवायदों के बीच देश के कोयला उत्पादक राज्यों में अग्रणी छत्तीसगढ़ में कोयले के अभाव के चलते लगभग 7500 मेगावाट के बिजली संयंत्र (पावर प्लांट) में उत्पादन ठप्प हैं। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग परिसंघ (फिक्की) की छत्तीसगढ़ इकाई के अध्यक्ष प्रदीप टंडन ने आज कहा कि केन्द्र की नई कोयला नीति के तहत राज्य के अधिकांश कोल ब्लाक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को आवंटित कर दिए गए है, जिसकी वजह से राज्य के निजी क्षेत्र के पावर प्लांटों को उनकी जरूरत के मुताबिक कोयला नही मिल पा रहा है। जिदंल पावर लिमिटेड के तमनार एक एवं दो पावर प्लांट की क्षमता 3400 मेगावाट की है जबकि कोयले की कमी के चलते इस समय उत्पादन 1700 मेगावाट हो रहा है। डीबी पावर की क्षमता 1200 मेगावाट की है जबकि उत्पादन 652 मेगावाट हो रहा है। राज्य के कुल 14 पावर प्लांटों में से केवल तीन में ही पूरा उत्पादन हो रहा है। उन्होने बताया कि कोयले के अभाव के चलते औसतन 50 प्रतिशत उत्पादन प्रभावित रहता है। टंडन के अनुसार रायगढ़ एवं सरगुजा स्थित राज्य के पांच प्रमुख कोल ब्लाक गुजरात, महाराष्ट्र एवं राजस्थान सरकार की बिजली कम्पनियों को आवंटित किए गए है। रायगढ़ जिले में पड़ने वाले कोल ब्लाकों गारे पाल्मा सेक्टर एक को गुजरात गारे पाल्मा सेक्टर दो को महाराष्ट्र तथा सरगुजा जिले में पड़ने वाले परसा कोल ब्लाक को राजस्थान राज्य विद्युत कम्पनी को आवंटित हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *