नई दिल्ली.
कैंसर की रोकथाम के लिए किए जा रहे इनवेरियंट नेचुरल किलर टी (आईएनकेटी) कोशिका शोध में वैज्ञानिकों को चूहों पर किए जा रहे अनुसंधान में शत-प्रतिशत सफलता मिली है और यह विभिन्न प्रकार के कैंसर के खिलाफ जंग में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। राजीव गांधी कैंसर अस्पताल के चीफ आॅफ आॅपरेशन (सीओओ) एवं मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ़ सुनील कुमार खेत्रपाल ने ‘यूनीवार्ता’ को बताया कि आईएनकेटी कोशिका शोध सचमुच कैंसर के मरीजों के लिए वरदान सिद्ध हो सकता है। हम अगर चिकित्सा इतिहास पर नजर डालें तो पता चलेगा कि चूहों पर हुए अनुसंधान की सफलता इंसानों पर काफी हद तक सही हुयी है क्योंकि मनुष्य और चूहों का 90 प्रतिशत डीएनए मेल खाता हैं। लेकिन यह भी सही है कि इस तरह के शोधों का अपेक्षित नतीजा आने में करीब 12 साल का समय लग सकता है। पांच से छह वर्ष प्री क्लिनिकल और पांच से छह साल क्लिनिकल ट्रायल में लगते हैं। साथ ही, पांच में से एक दवा ही क्लिनिकल टेस्ट से गुजरने के बाद कारगर साबित होती है। अमेरिका, कनाडा, वियतनाम समेत कई देशों में लेक्चर दे चुके डॉ़ खेत्रपाल ने कहा, ‘यह खुशी की बात है कि आईएनकेटी सेल्स के प्रयोग को लेकर लॉस एंजिल्स के वैज्ञानिक आशान्वित हैं और हम भी सफलता की कामना करते हैं।’ यह पूछने पर कि उनके अस्पताल में प्रतिदिन आने वाले कैंसर के मरीजों की संख्या का आंकड़ा क्या है, डॉ. खेत्रपाल ने बताया, ‘चिंता की बात है कि हर प्रकार के कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हमारे ओपीडी में प्रतिदिन कम से कम 50-60 नये मरीज आते हैं और उनमें करीब 50 प्रतिशत लोगों का कैंसर शरीर के दूसरे अंगों में फैल चुका होता है। हमारे यहां सभी तरह के कैंसर के इलाज की व्यवस्था है और हमारी कोशिश हर मरीज को ठीक करने अथवा उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने की होती है।’ लॉस एंजिल्स स्थित यूनिवर्सिटी आॅफ कैलिफोर्निया के चिकित्सकों की टीम का मानना है कि इंसान के शरीर में स्थित इम्युन कोशिकाओं का एक प्रबल एवं शक्तिशाली समूह किसी भी तरह के कैंसर को परास्त कर सकता है और इन्हें आईएनकेटी सेल्स कहा जाता है चूहों पर किये गये अनुसंधान में इस बात को साबित भी किया है। आईएनकेटी सेल्स की संख्या किसी व्यक्ति में कम और किसी में अधिक होती है। उनका दावा है कि इंसान के शरीर में आईएनएकेटी की संख्या को बढ़ाकर कैंसर समेत कई तरह के ‘हमलों’ को परास्त किया जा सकता है। शोध टीम की वरिष्ठ सदस्य डॉ. लिली यांग ने कहा कि शोध का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि यह थेरेपी मरीजों में एक बार ही दी जाएगी और इसके बाद आईएनकेटी सेल्स की संख्या शरीर में इतनी बढ़ जायेगी कि किसी भी तरह के कैंसर का सामना कर सकेंगी। वैज्ञानिकों का यह शोध ‘सेल स्टेम सेल’ में प्रकाशित हुआ है। डॉ़ वांग ने कहा, हमने अपने पहले के क्लीनिक अध्ययन में पाया कि कैंसर के जिन मरीजों में आईएनकेटी सेल्स की संख्या स्वभाविक रुप से अधिक होती है उनकी आयु इसकी कम संख्या वाले मरीजों से लंबी होती है। यह बहुत शक्तिशाली सेल्स हैं लेकिन स्वभाविक रुप से शरीर में इनकी संख्या उतनी नहीं होती जितनी कैंसर समेत तमाम ‘बीमारियो’ से लड़ने के लिए आश्वयक है।’ इन कोशिकाओं की अन्य इम्यून कोशिकाओं से तुलना करने पर यह पता चला है कि इनमें विभिन्न प्रकार के कैंसर को एक बार में खत्म करने की अद्भुत क्षमता है। अनुसंधानकर्ता अपने नये प्रयोग में इस दिशा में काम कर रहे हैं कि ऐसी थेरेपी विकसित की जाये जिससे इंसान के शरीर में स्थायी रुप से आईएनकेटी सेल्स पैदा हो सके और वे ‘सिंगल डिलेवरी थेरेपी’ को निजात करने के प्रति आश्वस्त हैं। अनुसंधानकतार्ओं ने आईएनकेटी सेल्स के लिए बोन मेरो (अस्थि मज्जा)से हेमाटोपोइटिक स्टेम सेल्स विकसित की और उन्हें इंसान के शरीर से प्रत्यारोप
ित मल्टीपल मायलोमा (एक प्रकार का ब्लड कैंसर) और मेलानोमा (ट्यूमर) कैंसर वाले चूहों में डाला गया। इस परीक्षण के दौरान पाया गया है कि बोन मेरो से विशेष प्रकार से तैयार सेल्स कारगर सिद्ध हुये और चूहों में आईएनकेटी सेल्स की संख्या में इजाफा हुआ। इनकी संख्या बढ़ने के साथ ही दोनों प्रकार के कैंसर के नामो निशान नहीं थे। यद्यपि यह देखना बाकी है कि क्या यह प्रयोग इंसानों पर भी इतना ही प्रभावी होगा। अनुसंधानकतार्ओं को विश्वास है कि कैंसर की दुनिया में यह ‘सुनहरा’ कदम है।