नई दिल्ली
‘मेरे पास इस चैंपियनशिप में 2 सिल्वर और 2 ब्रॉन्ज थे, पर आखिरकार मैं सोना जीतने में कामयाब रही…’ ये दुनिया में बैडमिंटन की नई चैंपियन पीवी सिंधु के शब्द हैं। सिंधु का सफर किसी प्रेरक कहानी से कम नहीं है। एक ऐसी कहानी जो सिखाती है कि कैसे बार-बार हार के बाद भी अगर इंसान हौसला न खोए और अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ता रहे तो एक दिन जीत उसके कदम चूमती है। आम तौर पर एक, दो हार के बाद बड़े-बड़े दिग्गजों का हौसला टूटने लगता है। वे अपने पथ से भटकने लगते हैं। लेकिन यह सिंधु थीं। जो न तो भटक सकती थीं और न हौसला खो सकती थीं। उन्हें जीतना था। उनका निशाना सोना था। उन्हें जवाब देना था। रविवार के दिन उन्होंने सबकुछ पा लिया। जीत, सोना, बुलंदी। आइए आपको बताते हैं कि कैसे बिना थके, रुके, टूटे भारत की यह बैडमिंटन स्टार लगाता आगे बढ़ती रही, भारत के लिए सुनहरा इतिहास लिखने वाली पीवी सिंधु का नाम आज हर जुबां पर है। रविवार को इस स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी ने वर्ल्ड चैंपियनशिप के खिताबी मुकाबले में जापान की नोजोमी ओकुहारा को हराकर इतिहास रचा दिया। सिंधु पहली भारतीय खिलाड़ी हैं, जिसने वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम किया हो। अक्सर फाइनल मुकाबलों में चूकने वाली पीवी सिंधु जब रविवार को कोर्ट पर उतरीं तो वह एक अलग ही अंदाज में दिखीं उन्होंने पूरे मैच के दौरान ओकुहारा पर अपना दबदबा बनाए रखा और इस जापानी खिलाड़ी को कहीं से भी मैच में वापसी का कोई मौका नहीं दिया। मात्र 37 मिनट में ही उन्होंने 21-7, 21-7 से वर्ल्ड चैंपियन का खिताब अपने नाम कर लिया।
रविवार की जीत बनी देश की प्रेरणा
इस जीत से पहले सिंधु बड़े मैचों के फाइनल में पहुंचकर हार जा रही थीं। पर रविवार को इस स्टार खिलाड़ी की ऐतिहासिक जीत सिर्फ उनके लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा है। चारों तरफ से उन्हें बधाई मिल रही है। सिंधु आज बुलंदियों पर हैं। वह अतुलनीय हैं, अदभुत हैं।
2017 वर्ल्ड चैंपियनशिप में ओकुहारा ने तोड़ा था सिंधु का सपना
स्कॉटलैंड में आयोजित 2017 वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में सिंधु का गोल्ड जीतने का सपना ओकुहारा ने ही तोड़ा था, तब सिंधु को इस जापानी शटलर ने 21-19, 20-22, 22-20 से कड़े संघर्ष में मात दी थी।
2013 में पहली बार सिंधु ने छोड़ी थी छाप
आज से 6 साल पहले साल 2013 में सिंधु ने पहली बार वर्ल्ड चैंपियनशिप से ही वर्ल्ड बैडमिंटन में अपनी पहचान बनाई थी। सीनियर लेवल पर सिंधु ने पहली बार इसी टूर्नमेंट में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था। जीतकर अपने नाम की सनसनी मचा दी। उन्होंने यह बता दिया कि जल्दी ही भारत ओलिंपिक खेलों में बैडमिंटन से भी गोल्ड हासिल कर सकेगा। वर्ल्ड बैडमिंटन में अब भारत का दबदबा लगातार बन रहा है। 2012 ओलिंपिक में साइना नेहवाल ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था और इसके बाद 2016 में रियो ओलिंपिक के फाइनल में पहुंचकर सिंधु ने भारतीय फैन्स के जोश को और बढ़ा दिया।
सिंधु पर उठ रहे थे सवाल
भारत की यह स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी चाहे ओलिंपिक हो या फिर वर्ल्ड चैंपियनशिप, एशियन गेम्स हों या फिर कॉमनवेल्थ खेल। इन सभी मेगा इवेंट में सिंधु फाइनल तक तो पहुंच रही थीं लेकिन महिला एकल में उन्हें गोल्ड हासिल नहीं हो पा रहा था। रियो ओलिंपिक के बाद से अब तक सिंधु ने भिन्न-भिन्न प्रतियोगिताओं में कुल 16 फाइनल में एंट्री की लेकिन इनमें से वह 5 खिताब ही अपने नाम कर पाईं। जानकार उन्हें फाइनल का चोकर मानने लगे थे। रविवार की जीत ने उनके नाम पहली बार किसी मेगा इंवेंट का चैंपियन भी बनाया है।
सिंधु के लिए खास है वर्ल्ड चैंपियनशिप
पीवी सिंधु ने भले ही पहली बार इस टूर्नमेंट में गोल्ड मेडल अपने नाम किया हो लेकिन इस टूर्नमेंट में यह उनका कुल 5वां पदक था। इससे पहले उन्होंने यहां 2013 और 2014 में ब्रॉन्ज, इसके बाद साल 2017 और 2018 में सिल्वर और अब 2019 में स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
सिंधु की हार-जीत की पूरी कहानी
-2016 ओलिंपिक्स से फाइनल में सिंधु की हार
-अगस्त 19, 2016- ओलिंपिक में कैरोलिना मारिन से
-नवंबर 27, 2016: हॉन्ग कॉन्ग ओपन में ताइ जू यिंग से हार
-अगस्त 27, 2017: वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में नोजोमी ओकुहारा से मिली मात
-नवंबर 2017: हॉन्ग कॉन्ग ओपन में ताइ जू यिंग से हारीं
-दिसंबर 2017: दुबई में वर्ल्ड सुपर सीरीज फाइनल्स में अकाने यामागुची ने पछाड़ा
-फरवरी 2018: इंडिया ओपन में बेईवन झांग से मात
-अप्रैल 2018: गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में साइना नेहवाल से पिछड़ीं
-जुलाई 2018: थाइलैंड ओपन में नोजोमी ओकुहारा ने हराया
-अगस्त 2018: नैनजिंग (चीन) में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में कैरोलिना मारिन से मात
-अगस्त 2018: जकार्ता में आयोजित एशियन गेम्स में ताइ जू यिंग ने हराया
-जुलाई 2019: इंडोनेशिया ओपन में अकाने यामागुची से मिली मात