नई दिल्ली. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार सुबह 8.50 बजे चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को पहली बार सफलतापूर्वक डि- ऑर्बिट किया। यानी अब यह ऑर्बिटर की कक्षा को छोड़कर चांद के दक्षिणी ध्रुव की ओर बढ़ चला है। इसे बुधवार सुबह फिर एकबार डि- ऑर्बिट किया जाएगा। अभी लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 104 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 128 किलोमीटर है। बुधवार को डि- ऑर्बिट किए जाने के बाद इसकी चांद से न्यूनतम दूरी 36 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 110 किलोमीटर होगी। इसके बाद विक्रम सीधे चांद पर उतरेगा।
विक्रम और प्रज्ञान एक लूनार डे तक काम करेंगे
विक्रम 7 सितंबर को देर रात 1.55 बजे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। इसके बाद 7 सितंबर की सुबह 5.30 से 6.30 बजे के बीच प्रज्ञान रोवर विक्रम से बाहर आएगा। यहां से प्रज्ञान एक लूनार डे के लिए अपने मिशन पर आगे बढ़ जाएगा। लूनार डे पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है। लैंडर भी इतने ही दिनों तक काम करेगा। हालांकि, आर्बिटर एक साल तक इस मिशन पर काम करता रहेगा।
तीन दिनों तक सघन निरीक्षण
बुधवार को लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सबसे नजदीक वाली कक्षा में भेजने के बाद तीन दिनों तक उसका निरीक्षण किया जाएगा। सात सितंबर के सॉफ्ट लैंडिंग से पहले उसके हर उपकरणों की बार-बार जांच की जाएगी। आखिरी क्षण तक यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कहीं कोई गड़बड़ी न रह जाए। वहीं प्रज्ञान रोवर अपने एक चंद्र दिवस के अनुसंधान में कई तरह के खोज करेगा। वह चंद्रमा की सतह की रासायनिक संरचना का पता लगाएगा। चंद्रमा पर मौजूद खनिजों के बारे में जानकारी एकत्र करेगा।