राज्य के बिजलीघर ठप होने के कगार पर, पैदा हो सकता है बिजली संकट

संदेश न्यूज। कोटा.
राज्य के बिजलीघरों को कोल इंडिया की ओर से पर्याप्त कोयला नहीं मिल रहा। यदि कुछ दिन ऐसे ही हालात रहे तो राज्य के ताप बिजलीघरों में बिजली उत्पादन ठप हो सकता है। राज्य के सभी बिजलीघर कोयले की उपलब्धता के मामले में सुपर क्रिटिकल स्थिति में पहुंच चुके हैं। छबड़ा थर्मल में तो कोयला खत्म हो चुका है। वहीं कोटा थर्मल में मात्र एक दिन का ही कोयला बचा है। सूरतगढ़ थर्मल में तीन दिन व कवाई थर्मल प्लांट में भी एक ही दिन का कोयला बचा है। राज्य में बिजली संकट मंडरा रहा है। कोयले की कमी के कारण कोटा में 220 मेगावाट, सूरतगढ़ में 500 मेगावाट तथा छबड़ा के थर्मल पावर प्लांट में 100 मेगावाट बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा। प्रतिदिन कोल इंडिया से राज्य में आरवीयूएनल के बिजलीघरों को मिलने वाली 11 कोल रैक के स्थान पर वर्तमान में चार से पांच रैक ही मिल पा रही है। साथ ही छत्तीसगढ़ स्थित कोल ब्लॉक पारसा-कांटा से भी 9 रैक के स्थान पर पांच रैक ही उपलब्ध हो रही है। कोयले की कम आपूर्ति के कारण प्रभावित हुए विद्युत उत्पादन की भरपाई सौर ऊर्जा एवं अन्य वैकल्पिक स्रोतों से कर उपभोक्ताओं को बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। राज्य में मंडरा रहे बिजली संकट से राज्य सरकार की भी नींद उड़ गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मामले में अपने कार्यालय में अधिकारियों की बैठक लेकर हालात की समीक्षा की तथा अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे केंद्र सरकार से इस संबंध में बातचीत कर राज्य को प्राथमिकता से कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित कराएं। मुख्यमंत्री गहलोत ने राज्य की ऊर्जा जरुरतों के मद्देनजर कोयले की तत्काल पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए केन्द्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रहलाद जोशी तथा केन्द्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री आरके सिंह को पत्र लिखा है। गहलोत ने पत्र में कहा कि कोयले की आपूर्ति में तत्काल सुधार नहीं होने की स्थिति में राज्य की कई विद्युत इकाइयों में उत्पादन प्रभावित होने से बिजली संकट पैदा हो सकता है। बैठक में ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला, मुख्य सचिव डीबी गुप्ता, प्रमुख शासन सचिव ऊर्जा कुंजीलाल मीणा सहित ऊर्जा विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद थे।
छतीसगढ़ में हो रही भारी वर्षा से संकट
कोल इंडिया लिमिटेड से राज्य में आरवीयूएनएल के बिजलीघरों को कोयला मिलता है। पिछले कुछ दिनों से एफडीआई के विरोध में चल रही ट्रेड यूनियनों की हड़ताल तथा छत्तीसगढ़ में भारी बरसात के कारण कोयले के खनन पर असर पड़ा है। इसके चलते राज्य के विद्युत उत्पादन गृहों को कोयले की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पा रही।
एसईसीएल से 47 व एनसीएल से 69 फीसदी ही मिल रहा कोयला
प्रदेश की जरुरत के अनुसार साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) से 129.24 लाख मैट्रिक टन तथा नॉर्दर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) से 41.50 लाख मैट्रिक टन कोयला राज्य को आवंटित किया गया है, लेकिन कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा जरुरत के मुकाबले काफी कम कोयले की आपूर्ति की जा रही है। एसईसीएल से मात्र 47 प्रतिशत तथा एनसीएल से केवल 69 प्रतिशत ही आपूर्ति हो पा रही है।

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