संदेश न्यूज। कोटा.
सुधार अस्पताल में मरीज की मौत के बाद हुई तोड़फोड़ के मामले में गुरुवार को अस्पताल प्रशासन ने पक्ष रखा। आईएमए भी इस मामले में सामने आया। मरीज की मौत पर यदि अस्पतालों में तोड़फोड़ होती रही तो अस्पताल गंभीर अवस्था के मरीज लेना ही बंद कर देंगे। इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ सुधा अस्पताल के निदेशक डॉ. आरके अग्रवाल और डॉ. पलकेश अग्रवाल ने आईएमए के अध्यक्ष डॉ. एस सान्याल, सचिव डॉ. केके डंग, संयुक्त सचिव डॉ. कुलदीप सिंह राणा के सामने पक्ष रखा।
डॉ.अग्रवाल ने बताया कि मरीज गंभीर अवस्था में एक दूसरे निजी चिकित्सालय से छुट्टी कराकर आया था। जिसकी गंभीरता के बारे में अस्पताल प्रबंधन के द्वारा परिजनों को पूर्व में ही बता दिया गया था। परिजनों की सहमति के बाद ही मरीज का उपचार शुरू किया गया था। मरीज के बचने की संभावनाओं के बारे में भी परिजनों ने प्रयास करने की बात कही थी। उपचार के दौरान 23 सितम्बर को पूर्व सरपंच रफीक पठान और बद्रीलाल आर्य आए थे। उसके बाद वे 24 सितम्बर को डिस्चार्ज के लिए कह रहे थे तो अस्पताल ने इसके लिए भी सहमति दे दी थी। अस्पताल का बिल केवल 37 हजार का था। इस संबंध में आईएमए के अध्यक्ष डॉ. एस सान्याल तथा डॉ. डंग ने कहा कि मामले को लेकर प्रशासन पर कार्रवाई का पूरा भरोसा है। लेकिन यदि किसी भी स्तर पर ढिलाई बरती गई तो आईएमए आन्दोलन करने से भी नहीं चूकेगा।
सीसीटीवी में दर्ज हुआ मामला
आरोपी बद्र्रीलाल आर्य, रफीक पठान और अन्य लोगों के द्वारा अस्पताल में तोड़फोड की गई। उनके द्वारा अस्पताल से केश लूट लिया गया और स्टाफ के साथ भी बदसलूकी की गई। जिसकी फुटेज अस्पताल के पास मौजूद है। आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है। इनके द्वारा ही परिजनों समेत अन्य लोगों को उकसाया गया।