श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर के त्राल में संदिग्ध आतंकियों ने जिन दो लोगों को बंधक बनाया था, उनमें से एक की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। दूसरे शख्स की खोज जारी है। बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में सोमवार को संदिग्ध आतंकवादियों ने वनक्षेत्र से खानाबदोश गुज्जर समुदाय के दो सदस्यों को अगवा किया था। जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने के बाद यह इस तरह की पहली घटना है। इससे पहले प्रदर्शनकारियों के पथराव में एक कश्मीरी ट्रक ड्राइवर की मौत हो गई थी। पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि सोमवार शाम करीब साढे़ सात बजे पुलवामा जिले के त्राल में वनक्षेत्र से राजौरी जिला निवासी अब्दुल कदीर कोहली और श्रीनगर के खोनमोह निवासी मंजूर अहमद को एक अस्थायी आश्रय ‘धोक’ से अज्ञात बंदूकधारियों ने अगवा किया। उन्होंने कहा कि इसके बाद तलाशी और बचाव दल को कोहली का गोलियों से छलनी शव मिला, जबकि एक अन्य व्यक्ति का पता लगाने के लिए अभियान जारी है।
पत्थरबाजी में गई ट्रक ड्राइवर की जान
इससे पहले रविवार को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में प्रदर्शनकारियों द्वारा किए गए पथराव में एक कश्मीरी ट्रक चालक की मौत हो गई थी। पुलिस ने बताया कि नूर मोहम्मद डार (42) जिले के जरादीपुरा उरानहाल इलाके का रहने वाला था और घटना के समय अपने घर लौट रहा था। इसी दौरान प्रदर्शनकारियों ने उसके ट्रक को गलती से सुरक्षाबलों का वाहन समझकर उस पर पथराव कर दिया। इस घटना के बाद पुलिस ने सख्त कार्रवाई करते हुए कई पत्थरबाजों को गिरफ्तार किया, जिनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।
मुठभेड़ में विशेष पुलिस अधिकारी हुए शहीद
बीजेपी नीत एनडीए सरकार द्वारा पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने की घोषणा के बाद यह पहली आतंकवादी वारदात है। इससे पहले 20 अगस्त को उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले में हुई मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी ढेर हो गया था और एक विशेष पुलिस अधिकारी शहीद हो गए थे। इसके अलावा एक पुलिस उप-निरीक्षक घायल हो गया था। यह पांच अगस्त के बाद सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच हुई पहली मुठभेड़ थी।
जम्मू-कश्मीर में आरक्षण को मिला था विस्तार
संसद ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल 2019 को मंजूरी दी थी। इस विधेयक के तहत जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के 10 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 3 फीसदी आरक्षण को विस्तार दिया गया था। इस बिल से सीधी भर्ती, प्रमोशन और विभिन्न श्रेणियों में कई व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आरक्षण देता है, लेकिन इसका विस्तार अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे व्यक्तियों के लिए नहीं था। लेकिन इस बिल के कानून बन जाने के बाद यह लोग भी आरक्षण के दायरे में आ जाएंगे। गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा था कि सीमा पर लगातार तनाव के कारण, अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे व्यक्तियों को सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को झेलना पड़ता है।