श्रीहरिकोटा
चंद्रयान-2 आज चांद की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया है। 22 जुलाई को हुई लॉन्चिंग के बाद 7 सितंबर को चंद्रयान-2 चांद की सतह पर उतरेगा। एक निश्चित रफ्तार से चांद की कक्षा में प्रवेश किया चंद्रयान-2, अगर इस प्रक्रिया में थोड़ी सी भी चूक होती तो यान अंतरिक्ष में खो जाता। इसरो की यह एक बड़ी उपलब्धि है। चांद की कक्षा में प्रवेश पर बोल रहे हैं इसरो चीफ
-सुबह 9 बजे चांद की कक्षा में पहुंचा चंद्रयान-2
-अभी चंद्रयान-2 चांद की परिक्रमा कर रहा है।
-हम पूरी तरह से एक्यूरेसी पर काम कर रहे हैं ताकि मिशन चंद्रयान-2को चांद के दक्षिणी सतह पर उतार सके।
-28, 30 अगस्त और 1 सितंबर को चंद्रयान-2 को 18 हजार किलोमीटर की ऊंचाई से 100/100 किलोमीटर की ऊंचाई तक लाएंगे।
-2 सिंतबर को लैंडर ऑर्बिटर से अलग होगा।
-इसके बाद लैंडर पर हमारा ध्यान होगा। ताकि यान आसानी से चांद की सतह पर उतर सके।
– जब हम सबकुछ सही पाएंगे तो चंद्रयान-2 को चांद पर उतराने की प्रक्रिया शुरू होगी।
-7 सितंबर को 1.45 बजे पावर मिशन शुरू होगा। 15 मिनट बाद 27 डिग्री साउथ 22 डिग्री ईस्ट चांद की दक्षिणी सतह पर उतरेगा यान।
-2 घंटे बाद लैंडर धीरे-धीरे सतह पर उतरेगा।
-3 घंटे 10 मिनट बाद सोलर पैनल रोवर काम करना शुरू करेगा।
-3 घंटे बाद रोवर लैंडर से निकलेगा।
-4 घंटे बाद लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा।
-हमें उम्मीद है कि 7 सिंतबर को 1.45 बजे चांद की सतह पर उतरेंगे।
-इसरो ने पीएम नरेंद्र मोदी को चंद्रयान-2 के टच डाउन के लिए आमंत्रण भेजा है। अभी उनके तरफ से आने की पुष्टि नहीं हुई है।
7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरेगा चंद्रयान-2
बता दें कि चंद्रयान-2 के 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरने की उम्मीद है। इसरो चीफ सिवन ने बताया कि चंद्रमा की सतह पर 7 सितंबर 2019 को लैंडर से उतरने से पहले धरती से दो कमांड दिए जाएंगे, ताकि लैंडर की गति और दिशा सुधारी जा सके और वह धीरे से सतह पर उतरे। ऑर्बिटर और लैंडर में फिट कैमरे लैंडिंग जोन का रियल टाइम असेस्मेंट उपलब्ध कराएंगे। लैंडर में नीचे लगा कैमरा सतह को छूने से पहले इसका आकलन करेगा और अगर किसी तरह की बाधा हुई तो उसका पता लगाएगा।
चांद की सतह पर क्या करेगा यान?
लैंडिंग के बाद 6 पहियो वाला प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से अलग हो जाएगा। इस प्रक्रिया में 4 घंटे का समय लगेगा। यह 1 सेमी प्रति सेकंड की गति से बाहर आएगा। 14 दिन यानी 1 लूनर डे के अपने जीवनकाल के दौरान रोवर ‘प्रज्ञान’ चांद की सतह पर 500 मीटर तक चलेगा। यह चांद की सतह की तस्वीरें और वहां मौजूद खनिज की मौजूदगी का पता लगाएगा। इसे विक्रम या ऑर्बिटर के जरिए 15 मिनट में धरती को भेजेगा।
जानें कैसे उतरेगा चंद्रयान-2
धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी लगभग 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है। चंद्रयान-2 में लैंडर-विक्रम और रोवर-प्रज्ञान चंद्रमा तक जाएंगे। चांद की सतह पर उतरने के 4 दिन पहले रोवर ‘विक्रम’ उतरने वाली जगह का मुआयना करना शुरू करेगा। लैंडर यान से डिबूस्ट होगा। ‘विक्रम’ सतह के और नजदीक पहुंचेगा। उतरने वाली जगह की स्कैनिंग शुरू हो जाएगी और फिर 6-8 सितंबर के बीच शुरू होगी लैंडिंग की प्रक्रिया।