क्यों हर साल देश में बाढ़ लाती है भीषण तबाही………..!

नई दिल्ली
लगातार भारी बारिश से इस वर्ष देश के 8 राज्य बुरी तरह प्रभावित हैं। केरल, बिहार, कर्नाटक, गुजरात, उत्तराखंड और महाराष्ट्र की स्थिति तो बदतर है। इन राज्यों के कई जिलों में जल प्रलय की स्थिति है। दूर-दूर तक सिर्फ सैलाब नजर आता है। लाखों लोग प्रभावित हैं। हजारों की संख्या में लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। इन राज्यों में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है। केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से बाढ़ प्रभावितों की मदद के लिए लगातार प्रयास जरूर हो रहे हैं, इसके बावजूद यह सवाल फिर उठता है कि आखिर हर बार मॉनसून में भारी बारिश के बाद इतनी तबाही क्यों मचती है? हर साल हजारों की संख्‍या में जानें क्यों जाती हैं? सबसे अहम सवाल यह कि समय से पहले सरकारें लोगों को इससे राहत देने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठाती हैं? आइए आंकड़ों में जानते हैं कि हर साल इस तबाही के पीछे क्या कारण है और कैसे इस तरह की तबाही के समय जान-माल के नुकसान को बचाया जा सकता है।
मौसम पूर्वानुमान बेहद जरूरी
बेहद खराब मौसम के पैटर्न के कारकों के पूर्वानुमान के लिए सरकारी एजेंसियों को बेहतर पूर्वानुमान तकनीकों को अपनाना होगा। इससे भीषण बारिश या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के बारे में लोगों को पहले से अलर्ट किया जा सकता है या सरकार के स्तर पर इससे बचाव के लिए ठोस कदम उठाया जा सकता है।
हर साल की एक ही कहानी
देश में बाढ़ से तबाही की कहानी हर साल एक ही तरह है। हर साल भारी बारिश से कई राज्य (देश का करीब 15 फीसदी हिस्सा)प्रभावित होते हैं। कई जिले और गांव डूब जाते हैं। लाखों लोग प्रभावित होते हैं। सरकारें राहत कैंप आयोजित करती हैं, मुआवजा देती हैं और फिर अगले साल वही कहानी। तबाही का क्रम वही है लेकिन आपदा प्रबंधन में कोई बड़ा बदलाव नहीं होता है, इसीलिए स्थितियां जस की तस बनी रहती हैं। औसतन बात करें तो 2000 लोगों की मौत इससे होती है। करीब 1800 करोड़ रुपये कीमत की फसलें बर्बाद होती हैं। एक महीना पहले ही बिहार और असम सिर्फ इन दो राज्यों में ही 175 लोगों की जान चली गई।
2016 से अब तक बाढ़ में मौतें
2016-17 1550
2017-18 2494
2008-19 2045
2019 से अब तक 496
भारी बारिश और बाढ़ के कारण घरों को नुकसान
2016-17 5.5 लाख
2017-18 11.9 लाख
2018-19 15.6 लाख
2019 से अब तक 6 लाख
बाढ़ प्रभावित राज्यों की स्थिति
केरल: बाढ़ से केरल बुरी तरह प्रभावित है। यहां अब तक 88 लोगों की जान जा चुकी है। 14 जिले के लोग पूरी तरह प्रभावित हैं। राज्य में अलग-अलग जगहों पर अभी तक भूस्खलन के 83 मामले सामने आए हैं। 2.5 लाख प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। 1332 राहत शिविर कैंप बने हैं। कोचिन एयरपोर्ट और रेल प्रभावित क्षेत्रों में ट्रेन सेवाएं भी बाधित हैं।
गुजरात: गुजरात में भी इस बार भारी बारिश खूब तबाही मचाई है। अभी तक 31 लोगों की मौत हो चुकी है। मध्य गुजरात और सौराष्ट्र का क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित है। वडोदरा में भारी बारिश से रेल, बस और हवाई सेवा को भी रोकना पड़ा था। वडोदरा में बाढ़ प्रभावित इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी जारी है।
उत्तराखंड: पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में इस वर्ष भी भारी बारिश के कारण तबाही मची है। अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है। खासकर चमोली का इलाका यहां बुरी तरह प्रभावित है। पिछले दिनों यहां भूस्खलन से इमारतों को तो नुकसान पहुंचा ही 6 लोगों की मौत भी हो गई।
महाराष्ट्र: भारी बारिश से महाराष्ट्र के कई जिले भी बुरी तरह प्रभावित हैं। यहां मरने वालों की संख्या 43 तक पहुंच गई है। पुणे के साथ 10 जिलों में बाढ़ सी स्थिति है। 4.5 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। 372 राहत शिविरों में लोग शरण लिए हुए हैं। बाढ़ के कारण मुंबई-बेंगलुरु नैशनल हाइवे को भी बंद करना पड़ा था।
कर्नाटक: कर्नाटक में भारी बारिश ने खूब तबाही मचाई है। यहां अभी तक बारिशजनित कारणों से 48 लोगों की मौत हो चुकी है। करीब 17 तटवर्तीय और उत्तरी जिले बाढ़ की चपेट में हैं। 5 लाख लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है। 1168 राहत कैंप में लोग रह रहे हैं। बड़े पैमाने पर फसल भी बर्बाद हुई हैं।
तकनीक के स्तर पर भी पीछे
2017 की कैग रिपोर्ट में पाया गया कि बाढ़ की भविष्यवाणी करने के लिए 219 नियोजित टेलिमिट्री स्टेशन उपयोग किए गए। पर, इनमें से सिर्फ 56 स्थापित हुए और उनमें भी 60 फीसदी काम नहीं कर रहे थे।
पहाड़ पर अनियंत्रित खनन से भूस्खलन
पहाड़ों पर मॉनसून में भूस्खलन के मामले काफी बढ़ जाते हैं। भारी बारिश में भूस्खलन से बड़े स्तर पर बर्बादी होती है। वहीं, नदी किनारे अवैध बालू खनन ने बाढ़ की स्थिति को और विकराल किया है।

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