नई दिल्ली.
चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ का चांद की सतह को छूने से ठीक पहले जमीनी स्टेशन से संपर्क भले ही टूट गया हो, पर उम्मीदें अभी कायम हैं। जी हां, इसरो के वैज्ञानिकों ने अब भी हिम्मत नहीं हारी है और उनका हौसला बुलंद है। इसरो के चीफ के. सिवन ने न्यूज चैनल से विशेष बातचीत में स्पष्ट कहा है कि लैंडर से दोबारा संपर्क साधने की कोशिश की जा रही है। गौरतलब है कि भारत के चंद्रयान-2 मिशन में शनिवार तड़के चंद्रमा की सतह से महज 2 किलोमीटर पहले लैंडर विक्रम से इसरो का संपर्क टूट गया था। उसके बाद से उसकी स्थिति का इसरो को पता नहीं चल पाया।
यह अभियान 95 फीसदी सफल
इसरो प्रमुख के. सिवन ने बताया कि लैंडर विक्रम से दोबारा संपर्क बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। चंद्रयान-2 मिशन 95 फीसदी सफल रहा है। चंद्रयान-2 का आॅर्बिटर साढ़े सात साल तक काम कर सकता है। गगनयान समेत इसरो के सारे मिशन तय समय पर पूरे होंगे।
चौथे चरण में आई समस्या
इसरो चीफ ने कहा कि अंतिम 30 किलोमीटर से लेकर सॉफ्ट लैंडिंग तक के सफर में 4 फेज थे। 4 इनमें से तीन फेज लैंडर ने सामान्य तरीके से पूरे किए, अंतिम चरण में हमारा संपर्क विक्रम लैंडर से टूट गया। हम अब तक उससे कम्युनिकेशन स्थापित नहीं कर सके हैं।
पीएम का सपोर्ट प्रेरणादायक
के. सिवन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हमारे लिए प्रेरणा और सपॉर्ट के स्रोत हैं और उनकी आज की स्पीच ने हमें प्रेरणा दी है।
गगनयान के लिए अंतरिक्ष यात्रियों के चयन की प्रक्रिया शुरु
भारतीय वायु सेना ने कहा है कि उसने महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्षयात्रियों के चयन के लिए पहले चरण की प्रक्रिया पूरी कर ली है। वायु सेना ने कहा कि टेस्ट पायलटों की गहन शारीरिक जांच, प्रयोगशाला जांच, रेडियोलॉजिकल जांच, क्लीनिकल जांच और मनोवैज्ञानिक के विभिन्न आयामों की जांच की गई। प्रारंभिक चयन प्रक्रिया में 25 टेस्ट पायलटों ने हिस्सा लिया। चयन प्रक्रिया में अभी कई चरण होंगे और सिर्फ 2-3 टेस्ट पायलट ही अंतिम सूची में शामिल हो पाएंगे। पहला गगनयान 2022 में अपने साथ तीन अंतरिक्षयात्रियों को लेकर रवाना होगा।
एक नई सुबह और बेहतर कल होगा: मोदी
बेंगलुरु. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार सुबह वैज्ञानिकों का फिर हौसला बढ़ाते हुए कहा कि वे मिशन में आई रुकावट के कारण अपना दिल छोटा नहीं करें, क्योंकि नई सुबह होगी और बेहतर कल होगा। मोदी ने कहा, ‘हम बहुत करीब पहुंच गए थे लेकिन अभी हमें और आगे जाना होगा। देश को हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रमों और वैज्ञानिकों पर गर्व है। हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम में अभी सर्वश्रेष्ठ होना बाकी है। मैं आपके साथ हूं, पूरा देश आपके साथ है। चंद्रमा को छूने की इच्छाशक्ति अब और अधिक मजबूत और प्रबल हो गई है।’ प्रधानमंत्री ने लैंडर से संपर्क टूटने के कारण मायूसी भरे माहौल को बदलने के लिए हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि हमारी कविताओं और साहित्य में चांद को प्यार की इतनी उपमाओं से जोड़ा गया है कि अगर आज की घटना का जिक्र होगा तो यह कहा जाएगा कि चंद्रयान अपने आखिरी कदमों पर चांद को गले लगाने के लिए दौड़ पड़ा।
ऑर्बिटर का कैमरा सबसे बेहतर
इसरो ने बताया कि जिस आर्बिटर ने विक्रम लैंडर को अपने से अलग किया था, वह ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो चुका है। अपने 8 अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए वह, चांद अपने वर्तमान स्वरूप में कैसे आया, वहां कौन-कौन से खनिज हो सकते हैं, पानी की गुंजाइश कितनी है आदि सवालों का जवाब देने में मददगार होगा। ऑर्बिटर का कैमरा किसी भी मून मिशन में इस्तेमाल हुए कैमरों में सबसे ज्यादा रिजॉलूशन वाला है। वह हाई रिजॉलूशन तस्वीरें भेजेगा जो दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए काफी उपयोगी साबित होंगी। ऑर्बिटर की उम्र 1 साल की मानी जा रही थी लेकिन वह करीब साढ़े सात साल तक सक्रिय रहेगा।